समाज सुधारक राजा राममोहन राय
4 सितंबर 1987 को राजस्थान के सीकर जिले के देवराला गांव में रूप कवर नामक एक राजपूत महिला सती के नाम पर अपने पति की मृत्यु के बाद चिता पर जिंदा जला दी गई । रूप कंवर के 24 वर्षीय पति की मृत्यु के बाद हजारों की संख्या में उसके दाह संस्कार में शामिल हुए लोगों ने रूप कवर को सती कर दिया । इस घटना के बाद देश भर में उबाल आ गया सामाजिक संगठनों महिला आयोग व मानवाधिकार आयोग ने इस पर अपना विरोध जताया। स्वामी अग्निवेश ने दिल्ली से लेकर देवराला तक पदयात्रा की । 1987 में जब स्वामी अग्निवेश दिल्ली से पदयात्रा के रूप में बहरोड पहुंचे तो खातनखेडा सरपंच बिरजानंद यादव के नेतृत्व में मैं स्वयं भी स्वामी अग्निवेश के साथ देवराला के लिए चल दिया । कोटपूतली में पुलिस प्रशासन ने हम लोगों को रोक लिया ।। जिस समय रूप कवर सती हुई थी उस समय उसकी उम्र महज 18 वर्ष थी । वैसे तो यह स्पष्ट नहीं है कि भारत में सती प्रथा कब और क्यों शुरू हुई थी लेकिन सती प्रथा उन्मूलन 19वीं शताब्दी में शुरू हुआ जब ब्रिटिश सरकार ने सती प्रथा को प्रतिबंध लगा दिया और इसके लिए कठोर कानून बनाए । राजा राम राम मोहन राय जो एक सामाजिक समाज सुधारक व्यक्ति थे उन्होंने खुलकर सती प्रथा का विरोध किया और सती प्रथा उन्मूलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । देश के प्रसिद्ध समाज सुधारक राजा राममोहन राय का जन्म 22 मई1772 को बंगाल प्रांत के राधा नगर में हुआ था । आध्यात्मिक व सामाजिक सुधारक व्यक्ति थे राजा राममोहन राय जिन्होंने अपने समाज व देश मे अनेकों महत्वपूर्ण बदलाव किये। राजा राममोहन राय ने महिलाओं की शिक्षा और अधिकारों के लिए लंबी लड़ाई लड़ी। राजा राममोहन राय के बड़े भाई की मृत्यु के बाद उनकी भाभी अलक मंजरी देवी को उस समय समाज में व्याप्त सती प्रथा की कुप्रथा के कारण घर व समाज के लोग सती करना चाहते थे और वे इसमें कामयाब भी हो गए क्योंकि उस समय राजा राममोहन राय घर पर नहीं थे जिसके कारण उनकी भाभी को सती के नाम पर जिंदा जला दिया गया । राजा राममोहन राय की भाभी अलक मंजरी देवी की इच्छा के विरुद्ध उनको पति की चिता पर बैठा कर जला दिया गया और उस घटना का नाम दिया गया सती । इस घटना की जानकारी जैसे ही राजा राममोहन राय को मिली तो वे बहुत दुखी हुए और उन्होंने मन ही मन दृढ़ निश्चय किया कि अब इस सती प्रथा की बुराई को जड़ से खत्म करके ही दम लेंगे। इस घटना के बाद राय ने सती प्रथा के खिलाफ एक कठोर देशव्यापी आंदोलन की शुरुआत की विरोध के बावजूद लोग को समझाया और वर्ष 1829 में ब्रिटिश सरकार को सती प्रथा के विरुद्ध कानून बनाने के अपने मकसद में वे कामयाब हो गए। भारत के तत्कालीन ब्रिटिश गवर्नर जनरल लॉर्ड विलियम बेटिक ने इस प्रथा को समाप्त करने का कानून बनाकर भारतीय महिलाओं पर एक बहुत बड़ा उपकार किया । भारतीय समाज सुधारक व लेखक ब्रह्मो सभा के संस्थापक राजा राममोहन राय अपने जीवन भर सामाजिक धार्मिक सुधार आंदोलन में कार्यरत रहे । राजा राममोहन राय ने इस कानून के तहत विधवा महिलाओं को जबरन आत्मदाह करने से बचाया और सती प्रथा उन्मूलन में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया । 27 सितंबर 1833 को इस महान समाज सुधारक की ब्रिस्टल ग्लूस्टर शायर इंग्लैंड में 61 वर्ष की उम्र में मृत्यु हो गई । सती उन्मूलन कानून बनवाने वाले सामाजिक क्रांति के अग्रदूत राजा राममोहन राय को हमेशा याद किया जाता रहेगा डॉ राजेंद्र यादव आजाद दौसा राजस्थान मोबाइल 941427 1288