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28 May 2025 · 1 min read

निश्छल प्रेम

जिस प्रेम में कोई राज न हो
नफरत का थोड़ा-सा भी अंदाज न हो
जो अपने प्रियतम के लिए बिना शर्त
सुमन बन अपना खुशबू बिखेर दे,
दंभ-अहंकार से अपना मुँह फेर ले
निभाए सदा सभी से सौहार्द और प्रेम
वही कर सकता है निश्छल प्रेम।

जिसके अनुराग में
मीरा की भक्ति हो,तुलसी की अनुरक्ति हो
सरिता सा स्नेह हो, चातक सा नेह हो
और मनाए जो अपने प्रियतम का कुशल क्षेम
वही कर सकता है किसी से निश्छल प्रेम।

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