नवनिधि क्षणिकाएँ---
नवनिधि क्षणिकाएँ—
23/05/2025
मेरे तेरे दरमियाँ
फासलों के अर्थ हैं
कोई कर रहा इंतज़ार
तुम्हारा भी और मेरा भी।
थमती जा रहा है
साँसों का कारवां
समाता जा रहा हूँ
विराट शून्य की ओर।
अनेक व्यस्तताओं के बावजूद
समय निकाल ही लेता हूँ
ये तुम्हारी खुशकिस्मती है।
झूठलाओ मत।
तेरी मेहरबानियों का
कैसे चुकाऊं कर्ज़
इसीलिए हर धड़कन में
तुझे याद करता हूँ।
ये सोचना गलत नहीं है
मुझसे मत उलझो
यहाँ कई लोगों ने
खून के आँसू रोये हैं।
गमले का कैकटस
लिपट रहा मेरे गले से
कल तारीफ जो कर दी
तुम कितने अच्छे हो।
चारदीवारियों के बीच में
मौत का कुँआ बना है
सब कूद रहे हैं देखो
लम्बी कतार लगी है।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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