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21 May 2025 · 3 min read

बच्चों पर अपनी इच्छाऐ नहीं थोपे बल्कि उनके मार्गदर्शक बने

सी बी एस ई बोर्ड का कक्षा 10वीं व 12वीं का रिजल्ट आ चुका है और प्रदेश स्तरीय बोर्ड का परीक्षा परिणाम अभी आने वाला है । प्रत्येक मां-बाप की इच्छा होती है कि वह जो नहीं बन पाए वह उनके बच्चे बने इसलिए वे अपने बच्चों को अपने मन माफिक विषय दिलवाकर उन्हें आगे की पढ़ाई करवाने की कोशिश करेंगे । लेकिन यह जरूरी नहीं है कि आपका बालक आपकी अपेक्षाओं पर खरा उतरे हो सकता है उसके मन में कुछ और ही चल रहा हो जो वह आपसे नहीं कह पा रहा हो । इसलिए मां-बाप को किसी भी सूरत में अपनी इच्छाएं अपने बच्चों पर नहीं थोपनी चाहिए । बच्चों को अपना निर्णय स्वयं लेने देवें एवं अपनी रुचि के अनुसार विषय चयन करने की स्वतंत्रता देना अति महत्वपूर्ण है इससे उनमें आत्मविश्वास और स्वतंत्रता की भावना विकसित होगी। प्रत्येक बच्चे को अपनी पसंद के निर्णय लेने की अनुमति प्रत्येक मां-बाप को अपने बच्चों को देनी चाहिए । अनेकों बार देखने में आया है की मां-बाप के दबाव में आकर बच्चे उनकी इच्छा के अनुसार विषय लेकर पढ़ाई करते हैं लेकिन उन विषयों में उनका मन नहीं लगता जिसके कारण वह हताश होकर कई बार आत्महत्या जैसे कदम भी उठ बैठते हैं । मेरी स्वयं की इच्छा एक पत्रकार बनने की थी मैं बचपन से ही पत्रकार बनना चाहता था लेकिन मेरे पिताजी चाहते थे कि मैं एक डॉक्टर बनू । मैं किसी भी सूरत में डॉक्टर नहीं बनना चाहता था । पिताजी के दबाव में आकर मैंने कक्षा ग्यारहवीं में भौतिक रसायन और जीव विज्ञान विषय लेकर पढाई शुरू की और इन विषयों का ट्यूशन भी किया । मैं पढ़ाई में ठीक था लेकिन मुझे किसी भी सूरत में साइंस विषय लेकर पढ़ाई नहीं करनी थी इसलिए वार्षिक परीक्षा के समय प्रश्न पत्र के प्रश्नों का उत्तर मुझे ज्ञात था फिर भी मैंने अपनी उत्तर पुस्तिका में कुछ नहीं लिखा जिसके कारण कक्षा ग्यारहवीं की बोर्ड परीक्षा में में फेल हो गया । कोटा में नीट व पीएमटी की तैयारी करने वाले अनेको बच्चों द्वारा आत्महत्या की जा चुकी है जिसका मुख्य कारण यह है कि उन बच्चों ने अपने मां-बाप के दबाव में आकर साइंस विषय लेकर पढ़ाई शुरू की लेकिन उस पढ़ाई में उनका मन नहीं लगा इसलिए उन्हें लगा कि वह अपने मां-बाप की इच्छा पूरी नहीं कर पाएंगे। इसी मानसिक दबाव में आकर बच्चे आत्महत्या कर बैठते हैं। मेरे ही एक परिचित के बेटे ने तीन बार पीएमटी की परीक्षा दी लेकिन तीनों ही बार वह उसमें असफल रहा जिसके कारण मानसिक दबाव के चलते उस लड़के ने रेलगाड़ी से कट कर आत्महत्या कर ली। अधिकतर माता-पिता अपने बच्चों को सफल हुए बच्चों का उदाहरण देते रहते हैं जिसके कारण भी बच्चा मानसिक दबाव में आ जाता है और इस मानसिक दबाव के चलते हुए वे गलत कदम उठा बैठते हैं। इसलिए मेरा मानना है की मां-बाप की भूमिका बच्चों को मार्गदर्शन और समर्थन प्रदान करने की होनी चाहिए न की अपनी इच्छाओं के अनुरूप ढालने की । हर मां-बाप को अपने बच्चों की जरूरत एवं रुचियां को समझते हुए उसे उसकी इच्छा का सम्मान करते हुए उचित मार्गदर्शन करना चाहिए। मां-बाप को चाहिए कि वे अपने बच्चों की सफलता सफलता पर खुश होवे और उनकी असफलता पर उनका सच्चा दोस्त बनकर उनका मार्गदर्शन करे । मानता हूं कि हर मां-बाप अपने बच्चों से अपेक्षा रखता है लेकिन किसी भी सूरत में मां-बाप को अपनी इच्छा बच्चों पर थोपनी नहीं चाहिए। हर मां-बाप को अपने बच्चों को उनकी इच्छा अनुसार कार्य करने व मार्गदर्शन प्रदान करने के बीचसेतु का कार्य करना चाहिए ताकि बच्चे स्वयं अपना निर्णय लेकर अपनी इच्छा अनुसार अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में कामयाब हो सके। इसलिए सभी मां-बाप अपने बच्चों को उनकी इच्छा के अनुसार विषय चयन करने की स्वतंत्रता देवी ताकि आगे की पढ़ाई यह मन लगाकर टर सके और उसमें सफल होकर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सके ।। डॉक्टर राजेंद्र यादव आजाद दौसा राजस्थान मोबाइल 94 1427 1288

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