घर में एक बगिया सी होती है बेटियां
घर में एक बगिया सी होती है बेटियां
चिड़ियों सी चहकती हिरणी सी फुदकती होती है बेटियां।
अपनी माँ के माथे का श्रृंगार है बेटियां
ओर एक पिता का स्वाभिमान है बेटियां
घर में दोडती भागती, ,कब सयानी हो जाती हैं बेटियां।
एक घर मे बगियां
सी होती है बेटियों।।
लोग कहते है पराया धन होती हैं बेटियां
मां बाप का घर भी उन्हीं का है जहां बेहिझक घूमती हैं बेटियां।।
दो दो परिवारों को जोड़ती है हैं बेटियों
दहेज की आड़ में बहुत ज़ुल्म देखती सहती हैं बेटियां।।
गुलाब का फूल चमेली की महल सब कुछ होती है बेटियां
इन्हें गर्भ में मत मारो ,इन्हें ऊंची उड़ान उड़ने दो
एक बाप के लिए गंगा सी होती हैं बेटियां हैं।।