सुंदर उपवन - विश्लोक छंद
सुंदर उपवन – विश्लोक छंद
सुन्दर यह उपवन कैसे हो?
मेरा मन पुलकित कैसे हो?
क्यों हम उलझ रहें बातों में?
क्यों नींद छल रही रातों में?
इधर-उधर हम भटक रहें क्यों?
खुद- से- खुद हम तुनक रहें क्यों?
आओ इसपर चिंतन कर लें।
बैठें खुद पर मंथन कर लें।।
मन में यहाँ विषाद भरा क्यों?
वाणी मधुरिम नाद भरा क्यों?
कहना बरबस यहाँ किसे है?
सहना हरपल नहीं किसे है?
कब- तक वसन बदलना होगा?
कुंठित कब-तक रहना होगा?
पथ पर खुद पग रखना होगा।
संयम हरपल गहना होगा।।
हकीकत को समझना होगा।
सार्थक कुछ अब करना होगा।।
सबको गले लगाना होगा।
प्रेम मुदित मिल जाना होगा।।
कुछ तो करतब करना होगा।
कदम समझकर धरना होगा।।
होगा उपवन बड़ा सलोना।
उठे महक जब कोना-कोना।।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज पटना।
संपर्क – 9835232978