आई हो दादा अंदर केतना तोहरे फायर बा
आई हो दादा अंदर केतना तोहरे फायर बा
लाल–पीला–नीला तोहके घेरले केतना वायर बा
लाल सेंहुर भूल गयिलू
सूनी माँग भूल गयिलू
शब्द बेफिजूल लिखलू
गीत ऊल–जलूल गयिलू
अरे, लाल कलम भर हरियर स्याही, लिखलू जयिसे बाबर बा
आई हो दादा अंदर केतना तोहरे फायर बा
लाल–पीला–नीला तोहके घेरले केतना वायर बा
मर्सडीज कै सपना देखलू
रोल्स–रॉयस भी ख़्वाब में भरलू
टाटा चार सौ सात में घुमलू
सूमो में भी कूद के चढ़लू
अरे, जऊने गाड़ी में बइठल बाड़ू,फाटत ओकर टायर बा
आई हो दादा अंदर केतना तोहरे फायर बा
लाल–पीला–नीला तोहके घेरले केतना वायर बा
काहे एतना कूदैलू
गड़बड़–झाला बूनैलू
हरी घंघरिया पहन–पहन के
बनी बंदरिया नाचैलू
अरे, जल–जल के सुलगैलू जइसे, सिगरेट फोर स्क्वायर बा
आई हो दादा अंदर केतना तोहरे फायर बा
लाल–पीला–नीला तोहके घेरले केतना वायर बा
बोली तोहार हरियर बा
कुछ दिनवा कै कैरियर बा
भाव बेदम परिहर बा
जइसे छिलका नरियर बा
अरे, देखब रानी तोहरे अंदर केतना बड़का शायर बा
सिच्वेशन तू ना समझैलू
देश–प्रेम का ढ़ोंग रचैलू
बहुरूपिया बन स्वाँग करैलू
उठ–उठ के तू रोज़ गिरैलू
कहत “कुँवर” भारत माता पर, हर्फ़–कलम न्यौछावर बा
आई हो दादा अंदर केतना तोहरे फायर बा
लाल–पीला–नीला तोहके घेरले केतना वायर बा
–कुँवर सर्वेन्द्र विक्रम सिंह ✍️
★स्वरचित रचना
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