व्यथा - मदनाग छंद
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छंद – मदनाग
मात्रा — 25
यति – 17, 8
1222/1222/12 22 22
व्यथा
सुनाया सत्य जो तुमने कहा, उसकी छोड़ो।
बताया अर्थ जो हमने नहीं, उसकी छोड़ो।
सजाया मांग को सिंदूर से, उसकी छोड़ो।
बहाया अश्क जो हमने कहीं, उसकी छोड़ो।।०१।।
बताओ दोष किसका गा रहे, हरपल बोलो।
हमारी बात किसको भा रहा, हरपल बोलो।
करें हम काम कैसे आज भी, हरपल बोलो।
यही अंजाम मुझको है मिला, हरपल बोलो।।०२।।
अभी आयें गिनाने लोग भी, मेरी कमियाँ।
जहाँ घुटने लगा है दम वहाँ, मेरी कमियाँ।
सभी जो थें दुआएँ दे रहें, मेरी कमियाँ।
कहो तो हम सुनाएं क्या रही, मेरी कमियाँ।।०३।।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज पटना।
संपर्क – 9835232978
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