माया - गीत
विषय ➖ मोहिनी माया
विधा ➖ गीत
उलझे रहते हम-सब हरपल, चलता न बुद्धि बल है।
सदा सजग रहना माया से, माया बड़ी प्रबल है।।
अपना सा आभास कराता, हरपल भ्रम फैलाता।
रिश्तों नातों में उलझे हम, सत्य समझ कब आता।।
अश्क नयन में डेरा डाले, मिलता ज्यों हीं छल है।
सदा सजग रहना माया से, माया बड़ी प्रबल है।।०१।।
रहे सहेज जतन से वैभव, जीवन अंग बनाया।
समय कभी जो रंग दिखाए, काम नहीं कुछ आया।।
फिर भी उसकी हीं चिंता में, घायल हम प्रति- पल है।
सदा सजग रहना माया से, माया बड़ी प्रबल है।।०२।।
पाप-पुण्य की सोंचा करते, भँवर जाल में फंँसते।
जिससे बचकर रहना होता, वही काम हम करते।।
दृष्टि भ्रम है ऐसा होता, मानो हम निश्छल है।
सदा सजग रहना माया से, माया बड़ी प्रबल है।।०३।।
कोई भाव नहीं हो मन में, कर्म निरंतर करना।
राम नाम का आश्रय लेकर, उन्हें समर्पण करना।।
जीव वही इससे बच पाता, जिसे राम का बल है।
सदा सजग रहना माया से, माया बहुत प्रबल है।।०४।।
अगर माया से मुक्ति चाहे, शंकर का ध्यान करें।
मायापति बस वही जगत में, जो कृपा प्रदान करें।।
सहज नहीं माया से बचना, लगता भले सरल है।
सदा सजग रहना माया से, माया बड़ी प्रबल है।।०५।।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
सियारामपुर पालीगंज पटना।
संपर्क – 9835232978