प्रचंड गर्मी - मदनाग छंद
प्रचंड गर्मी – मदनाग छंद
हुआ ज्यों भोर सूरज दिख पड़े, भृकुटी तानें।
लगा वह भस्म कर देंगे सभी, कहना मानें।
उगलते ताप थें ऐसे वहीं, जलना जाने।
हमारा दोष बतलाते सही, करना ठानें।।०१।।
सभी बच्चे यहाँ आते सदा, पढ़ना चाहें।
उन्हें सपने सलोने हम दिखा, गढ़ते राहें।
मिले कोई कभी दुर्गुण जहाँ, शोधन करते।
मिटाकर दोष हर गुण से उन्हें, हरपल भरते।।०२।।
हमारा क्या हमें शिक्षक सभी, कहते रहते।
मगर सच है कि हम हरपल यहाँ, सीखा करते।
अभी कमियाँ कई हममें उसे, शोधित चाहें।
दिखाते राह बच्चों को बनें, अपनी राहें।।०३।।
सबेरे हीं सदा उठना हमें, देर न करना।
जपूँ राधा भजूँ कान्हा सदा, भजते रहना।
सुबह की सैर से लौटूं तभी, खुशियाँ मिलती।
करें सेवा सदा सुरभी वहीं, शुभता पलती।।०४।।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज पटना।
संपर्क – 9835232978