आखरी सा है यह रास्ता,मग़र ना मालूम कहां तक जाएगा।

आखरी सा है यह रास्ता,मग़र ना मालूम कहां तक जाएगा।
जिधर का रुख़ होगा हवाओं का,उसी से जा टकराएगा।।
मधु गुप्ता “अपराजिता”
आखरी सा है यह रास्ता,मग़र ना मालूम कहां तक जाएगा।
जिधर का रुख़ होगा हवाओं का,उसी से जा टकराएगा।।
मधु गुप्ता “अपराजिता”