/-- छूट गया था,जो कभी --/

/ — छूट गया था,जो कभी — /
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छूट गया था जो कभी,अब वह भी कोना चाहिए
जान की कीमत तो, सिर्फ जान होना चाहिए
दोस्तों के रूप में पली,जो दुश्मनों की फ़ौज है
आस्तीन के सांपों का पहले सर कुचलना चाहिए
सरहदों से घुस गए जो शत्रु, शातिराना चाल से
आग के शोलों में अब उनको भी जलना चाहिए
बस गए जो बंग्लादेशी, गांवों, शहर, बाजार में
गांवों, शहर, बाजार से,उनको निकलना चाहिए
औक़ात पिद्दीयों सी,अब तो वो भी बोलने लगे
क्षमा, शील, संयम का, नियम बदलना चाहिए
जुर्रत न कर सकें कभी तरेरने की आंख भी
ईंट,ईंट का जवाब अब,पत्थर से होना चाहिए
बम, बारूद, युद्ध, नीति या किसी बिसात पर
दर्प, दुश्मनों का “चुन्नू” चूर-चूर होना चाहिए
करनी हो सीधी अगर से, दुश्मनों की चाल को
जल,जमीं व आसमां पर,जमकर धोना चाहिए
/••• क़लमकार •••/
चुन्नू लाल गुप्ता-मऊ (उ.प्र.)✍️