आपरेशन सिंदूर!
आपरेशन सिंदूर,
तोडेगा गुरुर,
नहीं हैं वे इतने दूर,
छुप भी जाएं,
अगर ये मगरुर,
ढूंढ ढूंढ कर,
चुन चुन कर,
करेंगे इनके सपने चकनाचूर,
प्रारंभ हो चुका है,
आपरेशन सिंदूर!
ये मजहबी आकर,
बात बे बात,
दिन और रात,
करते रहते थे खुरापात,
भडकाते थे हमारे जज्बात,
बे काबू हो गई जब बात,
तो सात तारीख कि रात,
सैना के जवान,
लेकर हथेली पर जान,
आतंकियों के कैंप,
कर दिये तमाम,
और लगा सिर्फ,
पच्चीस मिनट का टाइम,
आपरेशन सिंदूर,
तोडेगा गुरुर,
यदि बना रहा वह मगरुर,
अभी भी है वक्त,
सिख ले यह सबक,
ना दे पनाह,
आतंक के माहौल को,
वर्ना झेलना पडेगा,
और भी अटैक को,
इतना तो जरा सोच ले,
एक देश हि तो थे हम पहले,
भाई की तरह अगर हो गये जूदा,
तो पड़ोसी तो रहेंगे सदा,
काम आते हम तुम्हारे,
तुम आते काम हमारे,
तरक्की के पथ पर,
आगे बढ जाते एक दूसरे के सहारे,
अन्य देश कर रहे तरक्की,
हम पर चढ रही है मस्ती,
मिटाने को चले अपनी हस्ती,
मान ले अब भि अगर,
छोड़कर बैर भाव की डगर,
अच्छा पड़ोस बन कर दिखा,
हमसे ना रहेगा कोई गिला,
बंद कर यह सिलसिला,
बाद में पछताएगा,
ना कोई काम आएगा,
जब सब कुछ नेस्तनाबूद हो जाएगा!
आपरेशन सिंदूर तो एक दिन रुक जाएगा,
क्यों बनता जा रहा है अफलातून,
बे वजह बहाता है मासूमों का खून,
सिर पर सवार है कैसा जूनून,
बे सहारा हो रही हैं बेटियां खातून
संभल जा अभी भी मिलेगा शुकून,
वर्ना खोना पडेगा बहुत कुछ,
वक्त पर कोई काम ना आएगा,
उकसा कर फिर कहीं छुप जाएगा,
हम आपस में लड कर मिट जाएंगे,
और वह हमारी लाशों पर मुस्कुराएंगे!!