अभिमान सीखा है – सजल
अभिमान सीखा है – सजल
समांत- आन
पदांत- सीखा है।
सुनो भाई अभी हमने सजल का गान सीखा है।
दिखाना दुश्मनों को आज हीं पहचान सीखा है।।
अभी तो दौड़ना प्रारंभ है न थकान आएगी।
मिटे हस्ती अगर तो क्या सदा ईमान सीखा है।।
किया हमने कहाँ ऐसा कि हिंदुस्तान सोचेगा।
कफन बांधा निकल आया तिरंगा शान सीखा है।।
दिखाएं आँख कोई तो मिटाना आन भाएगा।
नहीं हमको रहा भय है, लुटाना जान सीखा है।।
पहलगाम अब याद रहे असुर दास्तान सुन पाया।
घुसा घर में पटक मारा रुके जलपान सीखा है।।
हमारे हौसले से आज पाकिस्तान है रोया।
नहीं सिंदूर अपना छोड़ना अभिमान सीखा है।।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज पटना।
संपर्क – 9835232978