गेह भेद मारते – कलाधर घनाक्षरी
गेह भेद मारते – कलाधर घनाक्षरी
मार काट लूट पाट,
दुष्ट दैत्य ठाट-बाट,
वेश सौम्य संग हाट, रूप रोज धारते।
प्रीत मीत रीत नित्य,
रम्य नेह कर्म कृत्य,
प्रौढ़ नार बाल हित, रोष से निहारते।
नष्ट भ्रष्ट हन्य जन्य,
दैत्य लुप्त भव्य वन्य,
सैन्य क्षेत्र नार धन्य, गेह भेद मारते।
धीर वीर चाल ढाल,
रक्त चिह्न श्रेष्ठ भाल,
युद्ध घोष भूमि लाल, दुष्ट को संहारते।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज पटना।
संपर्क – 9835232978