ऑपरेशन सिंदूर सफल हुआ (6 मई रात 1.45 पर रचना)

पहलगाम की धरती काँपी,
जब मासूमों पर वार हुआ,
पर्यटकों की हँसी बुझा दी,
आतंकी हमला शर्मसार हुआ।
भारत चुप ना बैठा था तब,
जवाब में दिल में आग जली,
वीरों ने रच डाली गौरव गाथा,
जो हर दिल में बस चली।
नाम था उसका “सिंदूर”,
शौर्य का वो रूप रंग था,
भारत माँ की रक्षा का वो,
हर बेटा फिर संग – संग साथ था।
राफेलों ने भेदे बादल,
ठिकाने नौ ध्वस्त हुए,
दुश्मनों का अभिमान टूटा,
गगन में जयघोष गूँजे।
ना कोई ढोल, ना नगाड़ा,
ना भाषण और ना शोर हुआ,
बस सीमा पार गया संदेश —
भारत कभी ना कमजोर हुआ।
वीरों की उस आहुति को,
हम शत-शत नमन करते है,
देश के हर बच्चे – बच्चे में,
वही वीरता का रंग हम भरते है।