तेरा जिक्र ही काफी है

तेरी बातों को हल्के में
नहीं लेते कभी भी हम,
तेरी यादों में रहते हैं
नहीं होते संग जब भी तुम।
हर लम्हा तुझसे जुड़ता है,
तेरा नाम ही जुबां पे चढ़ता है।
तेरी हँसी का जादू अब भी
दिल के कोनों में गूंजा करता है।
तू पास नहीं तो क्या ग़म है,
हर सांस को तेरा ही इंतज़ार है।
तू देखे न देखे कभी हमें,
पर मेरी आंखों को तेरा ही ऐतबार है।
तेरे बिना अधूरी सी
हर एक सुबह, हर एक शाम है।
अब तो तेरे नाम ही
हर मौसम, हर खुशबू, हर जाम है।
तेरा जिक्र ही काफी है
मेरे दिल को बहलाने के लिए,
मेरी सांसें भी मचलती हैं
तेरे रग-रग में समाने के लिए।
जब चाँद निकलता है
तो मुझे तेरी सूरत याद आती है,
तारों से कह बैठते हैं
तेरी बातें जो मेरे मन को भाती हैं।
मेरा हर सपना तुझसे जुड़ा है,
मेरा हर गीत तुझसे सुर पाता है।
तेरी यादों की बारिश से
हर दर्द मेरा धुल जाता है।
तेरे ख्वाबों में जी लेते हैं,
तेरी बातों में खो जाते हैं।
तू दूर सही मगर फिर भी
तुझे हमेशा अपने सामने पाते हैं।
तेरी मुस्कान बसी है दिल में,
तेरी सुंदरता का जादू चढ़ गया है सिर में।
तू पास नहीं फिर भी
हर वक्त तू ही रहता है दिल में।