किछु नञ् कहू..
किछु नञ् कहू..
(मैथिली प्रेम गीत)
किछु नञ् कहू..
किछो नञ् कहू..
अहां दिल म’ रहैछी
बस दिले में रहू..
चंदा क इजोर सन,
अहांकऽ मुख अछि सुंदर
अहांकेऽ देखब जे नितदिन,
हम पहिले पहर.. 2
आतुर मोन हमर
बेचैन अछि आठो पहर ,
बिनु बाजने सुनैऽ छी
हम अहांकऽ स्वर.. 2
अहां रहू बस रहू
हमर सामने त’ रहू..
अहां दिल म’ रहैछी
बस दिले में रहू…2
किछु नञ् कहू..
रौद पसरल अछि सगरो,
छतरी नञ् ऊपर ,
अहां प्रेमक बसात स’,
जेना लगैए छाहैर..2
जिनगी केऽ सफर
बड़ कठिन अछि डगर ,
देखु अहां बिनु ई जिनगी
नञ् कटतैऽ हमर..2
अहां रहू बस रहू
हमर सामने त’ रहू ,
अहां दिल म’ रहैछी
बस दिले में रहू..
किछु नञ् कहू..
ई आंखि अछि हमर
नीन अहांकऽ मगर ,
सांस चलैये ई तन म’
अहां छी धड़कन हमर..2
अहां जननी छी जग में
त ई सृष्टि सँवर ,
अहां बिनु जिअब नञ् जग मे
हम त’ एक्को पहर.. 2
अहां रहू बस रहू
हमर सामने त’ रहू ,
अहां दिल म’ रहैछी
बस दिले में रहू..
किछु नञ् कहू..
“मौलिक आ स्वरचित”
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – ० ४/०५/२०२५
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विक्रम संवत २०८२
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