सायली छंद
सृजन दृश्य – बहाव
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बहाव
भावनाओं का
मुश्किल रोक पाना
जब दुःख
पडे।
रोके
कोई कैसे
आँसुओं के बहाव
पीर में
अपनी।
भव
पार होता
मनुज भक्ति के
बहाव में
सदा ।
गलत
होते फैसले
बहाव में अक्सर
भावनाओं के
बह।
मुश्किल
होता तैरना
तेज बहाव से
बहती नदी
जब ।
सीमा शर्मा