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4 May 2025 · 1 min read

सायली छंद

सृजन दृश्य – बहाव
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बहाव
भावनाओं का
मुश्किल रोक पाना
जब दुःख
पडे।

रोके
कोई कैसे
आँसुओं के बहाव
पीर में
अपनी।

भव
पार होता
मनुज भक्ति के
बहाव में
सदा ।

गलत
होते फैसले
बहाव में अक्सर
भावनाओं के
बह।

मुश्किल
होता तैरना
तेज बहाव से
बहती नदी
जब ।

सीमा शर्मा

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