मनहरण घनाक्षरी
विधा👉 मनहरण घनाक्षरी छन्द
संयोजन
2 2 2 2
2 3 3
3 3 2
वर्जित 👉 विषम सम विषम
मत कर अभिमान,
तज चल झूठी शान,
भर अंतर्मन ज्ञान,
जीवन सजाइये।
नश्वर जगत सारा,
सुंदर करना कारा,
रख बस भाई चारा,
प्रेम गीत गाइये।
माया का है सब फेरा,
मत बोलो मेरा-मेरा,
यह तन माटी ढेरा,
अंतस जगाइए।
कह सबको अपना,
सदा अहम तजना,
राम भजन जपना,
भव तर जाइये।
सीमा शर्मा ‘अंशु’