शार्दूल दोहा गीत
* शार्दूल दोहा गीत
06 गुरु-36 लघु
अनुपम चितवन श्याम के, करते उर पर वार।
सुधबुध तज कर अब रहे , विकल सकल नर नार।।
निरखत निशदिन राह सब, गिरिधर जप दिन रैन।
छल-छल अखियाँ बह रही, तन-मन को नहिँ चैन।।
चरण कमल रज माथ पर, रखनी सबको धार।
सुधबुध तज कर अब रहे , विकल सकल नर नार।।
वन-वन भटकत गोपियां, प्रभु मिलन बस आस।
चरण शरण प्रभु हम पड़े,हृदय करो तुम वास।।
सब कुछ अर्पण कर दिया, प्रभु वर अब दो तार।
सुधबुध तज कर अब रहे , विकल सकल नर नार।।
सीमा शर्मा