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4 May 2025 · 1 min read

गीतिका

गीतिका
समांत-आर का तुकांत
पदांत-कर
मापनी-2122 2122 212

गलतियां अपनी सदा स्वीकार कर।
जीत जग को प्रीत उर में धार कर।।

लाख मुश्किल आ पड़े रहना अडिग,
थाम दिल मत बैठ जाना हार कर ।

साथ में चलता न कोई भी यहाँ,
दौर संकट का अकेले पार कर।

आँख के आँसू जरा तू पोंछ लें,
नाम प्रभु का आत्म में उच्चार कर।

छोड़ दुनियां को चले जाना हमें,
त्याग नफरत को सभी से प्यार कर।

बोल कड़वे बोल मत हर मान को,
दिव्य शब्दों का सदा व्यवहार कर।

कर्म की सीमा कभी मत लाँघना
पुण्य जीवन में कमाना सार कर।

सीमा शर्मा ‘अंशु’

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