ग़ज़ल
ग़ज़ल
बह्र-2122, 2122,212
दर्द दिल में जो संभाला जाएगा।
अश्क का तूफां न टाला जाएगा।।
पालते माँ बाप कितने प्यार से,
वेश्म से उनको निकाला जाएगा।
हाल जीते जी न उनका पूछते,
बस वसीयत को खँगाला जाएगा।
दूध छाती का पिलाया है जिसे,
छीन कर मुँह से निवाला जाएगा।
कद्र कर माँ बाप की ‘सीमा’ कहे,
ये गए तो छिन उजाला जाएगा ।
सीमा शर्मा