मच्छ दोहा गीत
मच्छ दोहा
7 गुरु 34 लघु
सृजन शब्द-करुणा
करुणा रख मन में सदा, मधुर- मधुर बस बोल।
धरम करम कर ले मना, हिय अब सत रस घोल।।
चमक दमक के पाश से, रख खुद को नित दूर।
हृदय कमल पर राम लिख,तनमन सुख भरपूर।।
अजर-अमर हम हैं कहाँ, चलना निज हथ खोल ।
धरम करम कर ले मना, हिय अब सत रस घोल।।
छल बल अंतस जब बसे, कदम-कदम पर हार।
सुमिरन तब प्रभु राम का,सकल अमंगल पार।।
निशदिन जीवन घट रहा,समझ समय का मोल।
धरम करम कर ले मना, हिय अब सत रस घोल।।
विचलित उर को चाहिए, प्रतिपल अविरल प्यार।
हर-जन मन दुख-सुख भरा, जगत भरम का द्वार।।
पग-पग उलझन सह यहाँ, मानस रे मत डोल।
धरम करम कर ले मना, हिय अब सत रस घोल।।
सीमा शर्मा ‘अंशु’