ग़ज़ल
विधा गजल
1222,1222,122
दुखों का अब्र छाया ही नहीं था ।
कभी वो वक़्त आया ही नहीं था।।
सफर मुश्किल बड़ा है जिंदगी का,
किसी ने ये बताया ही नहीं था।
समझ आयी हमें ठोकर खा कर,
रहा तो साथ साया ही नहीं था।
तलाशते यहां कमियां सभी हैं,
बताना सिफ़्त भाया ही नहीं था।
रखेंगे वो रवैया गैर सा भी,
अजीजों ने जताया ही नहीं था।
अब्र-बादल
सिफ़्त-गुण
सीमा शर्मा