Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
4 May 2025 · 1 min read

ग़ज़ल

विधा -ग़ज़ल
बह्र- 1222-1222-1222-1222
शरीफों को बताओ तो,ज़माना पूछता है क्या।
यहाँ हर शख्श मतलब बिन, बताना पूछता है क्या।।

सगा भाई मरे भूखा, दिया हो दान गैरों को,
गलत ये पुण्य की दौलत ,कमाना पूछता है क्या।

दबाया उम्र भर तुमने,दिखा कर जोर पैसे का,
रकीबों में लुटेगा ये,खजाना पूछता है क्या।

समझ तब मोल पैसे का, किसी के काम जो आये,
मजारों पर चढ़ा कर क्यों, गवाना पूछता है क्या।

भरे मज़लूम आहें तो,भरे भंडार खाली हो,
सदा आशीष का ही ज़र , बचाना पूछता है क्या।

हुआ है कर्म ऊपर से, तुझे काबिल बनाया जो,
बुरा इन रोब सिक्कों का, जमाना पूछता है क्या।

भरा हो पेट पहले से,अगन क्या भूख की समझे,
रखो ‘सीमा’ नहीं लालच,बढाना पूछता है क्या।

सीमा शर्मा

Loading...