Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
4 May 2025 · 1 min read

ग़ज़ल

ग़ज़ल
बह्र – 1222-1222,1222-1222

सताए वो हमें हरपल, निगाहों से सदा तोड़े।
पड़े कातिल नज़र दिल पे,इशारों से सदा तोड़े।।

कहो पत्थर उठाने की, उसे होगी जरूरत क्या,
लबों को खोल दे बस वो,अदाओं से सदा तोड़े।

जरा बचना जमाने से,बड़ी मीठी जुबा बोले,
जहर रख कर दिलों में ये, मिठासों से सदा तोड़े।

बिछाए खार राहों में, वही अपने लगे जो हैं,
अमन के फूल भी चुग ले,गुलाबों से सदा तोड़े।

बढ़े ‘सीमा’ गुनाहों की, खुदा इंसाफ करता है,
लिखे वो डायरी अपनी,हिसाबों से सदा तोड़े।

सीमा शर्मा ‘अंशु’

Loading...