जात ही पूछो साधू की!
कभी यह युक्ति,
कही जाती रही,
जात ही पूछो साधू की,
अब पूछी जायेगी,
हम सबकी,
आते जाते ही नहीं,
बहसों में,
वाद विवाद में,
झगड़े फसाद में,
अरे हां,
याद आया,
संसद में,
अनुराग ने,
अपनी ठकुराई दिखाते हुए,
राहुल की पूछी थी जात,
खूब हुए थे सवालात,
पर हो गई आई गई बात,
अभी अभी पहलगांव में,
आतंकियों ने,
धर्म क्या पूछ लिया,
बवाल खडा हो गया,
धर्म क्यों पूछा,
जात क्यों नहीं!
आतंकियों की इतनी हिमाकत,
धर्म पूछ कर करते दिखे हिकारत,
और मारकर गोलियां,
दे गये हिदायत,
जाकर बता देना,
मोदी को,
हमने जात नहीं ,
धर्म पूछ कर गोली मारि,
निवस्त्र किया,
कलमा पढाया,
फिर भी तरस नही खाया,
और वही किया,
जिसे ठान कर आये,
दे दना दन गोलियां चलाए,
जिंदा जिंदगी कि खेलते रहे होलियां,
और बद मिजाज शब्दों कि बोलिंया!
जिन्हें छोड गये जिंदा,
कर के शर्मिंदा,
खेल गये खेल गंदा,
देकर ताना,
जाकर बताना,
हिन्दू मुस्लमान में भेद किया,
हिन्दूओं को चुन चुन कर मारा,
और मुसलमानों को ललकारा,!
किन्तु अपने मकसद में नही हुए कामयाब,
कश्मीरियों ने कर दिया नाकाम,
पीडितों को बचाने को आये,
उनसे टकराये,
जान भी गंवाये,
अपनी जान पर खेल कर,
जो बच गये थे,
उन्हे सुरक्षित जगहों पर लाए,
पीडितों को, अस्पताल पहुंचाए,
मानवता का धर्म अपनाए,
और कुटिलों कि योजना पर पानी फेर आए!
पर यह उन्होंने किया क्यों,
यह आइडिया लाये क्यों,
आये थे इसी बहाने,
हिन्दू मुस्लिम का फसाद कराने,
यह ख्याल उन्हें तब आया,
जब अपने देश में,
उन्होंने यह होता पाया,
गोकशी के नाम पर,
जो मारपीट होती है,
गरीब गुरबों पर,
जब घूंसा लात होती है,
दूल्हे को घोड़े से उतारकर जलील करना,
आदिवासियों पर मलमूत्र का त्याग करना!
था तो मक़सद उनका,
हमारी ऐकता को खंड खंड करना,
पर कर नहीं पाए,
इसलिए कि ,
सिर्फ धर्म पूछा था,
जात नहीं पुछ पाए,
जात पुछ गये होते तो,
हम अलग अलग खेमों में बंटे नजर आते,
हिन्दू के बजाए जातियों में नजर आते!
पर अब आ जाएंगे ,
जब जात को जाति जन गणना में दिखाये जाएंगे,
अब कोई नही कह सकेगा,
जात ही पूछो साधू की,
क्योंकि,
अब हम सब साधू कहे जाएंगे,
और साधू महाराज,
राजनेता बने नजर आएंगे,
सत्ता की चमक,
नोटों की खनक,
पद प्रतिष्ठा की ललक,
इंसान को कहाँ से कहाँ ले जाएगी,
गरीबी, भुखमरी, बरकरार चलेगी,
नेताओं की नेता गिरी सदाबहार रहेगी!!