न्यूज़ चैनल

दर्पण सामाजिक बने,प्रतिबिबों की धूम|
घटनाएं एंकर गढ़े, दर्शक जाते घूम||
दर्शक जाते घूम, बारम्बार दुहराते|
सच भी लगता झूठ,झूठ सच सा बतलाते||
कहें प्रेम कवि राय, न्यूज़ करते हैं अर्पण |
मानव काटे स्वान , सामयिक ऐसे दर्पण ||
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव प्रेम