समर नहीं टाला जाएगा

बार-बार अपने शरीर पर ,घाव नहीं साला जाएगा।
भारत विरोधी पाक से अब ,समर नहीं टाला जाएगा।।
जो पीड़ा दी है भारत को,हम सूद समेत चुकाएँगे।
किया कृत्य जो इसने घटिया,इसको हम सबक सिखाएँगे।
घुसकर भारत की सीमा में, इसने नर संहार किया है।
छुप करके कायरों की भाँति , पर्यटकों पर वार किया है।
दूध पिलाकर अब भारत में,साँप नहीं पाला जाएगा।
भारत विरोधी पाक से अब,समर नहीं टाला जाएगा।।
हर दिन भारत की सीमा में, करते हो घुसपैठ तुम्हीं सब।
नहीं सहेंगे गीदड़ भभकी,कान खोलकर सुन लो तुम अब।
अगर हमारा खून बहा तो, चैन से तुम न रह पाओगे।
भारत की विराट सेना के, पैरों से कुचले जाओगे।
भारत से फेंकेंगे यदि हम,हलक उतर भाला जाएगा।
भारत विरोधी पाक से अब,समर नहीं टाला जाएगा।।
भूल गए क्या इससे पहले,घर भीतर घुसकर मारा था।
भारत की सेना के सम्मुख,बुरी तरह रण में हारा था।
दया भाव से छोड़ दिया था, फिर से तुम आँख दिखाते हो।
पहन शेर की खाल बदन पर, तुम शेरों से टकराते हो।
अबकी बारी तुझको भेजा,मुँह करके काला जाएगा।
भारत विरोधी पाक से अब,समर नहीं टाला जाएगा।।
भारत माता के सपूत हैं,हम वीर पुरुष मतवाले हैं।
काल रूप विकराल भयंकर, प्राणों को हरने वाले हैं।
रक्त बूँद से लिखा गया है,विश्व पटल इतिहास हमारा।
हमारे आक्रोश के आगे, थर्राता भूमंडल सारा।
नाहक हमसे तुम भिड़ते हो, शोणित बह नाला जाएगा।
भारत विरोधी पाक से अब,समर नहीं टाला जाएगा।।
चाह गए जिस दिन हम बेटा,धरती से नाम मिटा देंगे।
तेरी सोने की लंका में,घुसकर हम आग लगा देंगे।
बेटे अपने बाप से कभी, नाहक नहीं लड़ा जाता है।
जो तुम सब पीते हो पानी,वह भी भारत से आता है।
रोटी का अब कोई टुकड़ा, पाक को न डाला जाएगा।
भारत विरोधी पाक से अब,समर नहीं टाला जाएगा।।
स्वरचित रचना-राम जी तिवारी”राम”
उन्नाव (उत्तर प्रदेश)