Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Apr 2025 · 1 min read

*युग की पुकार को पहचानो, अब जाति-व्यवस्था को छोड़ो (राधेश्या

युग की पुकार को पहचानो, अब जाति-व्यवस्था को छोड़ो (राधेश्यामी छंद)
_________________________
1)
युग की पुकार को पहचानो, अब जाति-व्यवस्था को छोड़ो।
आक्रांता सिर पर खड़ा हुआ, मुट्ठी बॉंधो खुद को जोड़ो।।
2)
चाहे जो जाति तुम्हारी है, लेकिन हिंदू कहना सीखो।
अब जाति-भेद से ऊपर उठ, हिंदू बनकर रहना सीखो।।
3)
अब सभी जाति के महापुरुष, सब देव सभी के कहलाऍं।
सब एक साथ मिलकर अपने, सारे देवों की जय गाऍं।।
4)
अब जाति-भेद में नहीं बॅंटो, हिंदू होकर सुविचार करो।
जातीय भावना ठुकरा दो, हिंदुत्व-भरा व्यवहार करो।।
5)
आओ अब से संगठित बनो, निज गौरव की पहचान करो।
जो मूल तुम्हारा वेद-धर्म, उस पर हिंदू अभिमान करो।।
6)
सड़ चुका जाति का जो ढॉंचा, उसको लेकर अब मत डोलो।
सब जाति-भेद से रहित द्वार, चिंतन-गलियारे के खोलो।।
7)
कह दो दूरियॉं मिटाऍंगे, हम जाति-भेद ठुकराऍंगे।
हम एक सूत्र में आपस में, गुॅंथ कर हिंदू कहलाऍंगे।।
8)
कह दो यह देश सनातन है, हम राम-कृष्ण के अनुयाई।
चाहे जो जाति हमारी है, लेकिन हम सब भाई-भाई।।
_________________________
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

22 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

*मां तुम्हारे चरणों में जन्नत है*
*मां तुम्हारे चरणों में जन्नत है*
Krishna Manshi (Manju Lata Mersa)
वह कली सी लगी (गीत)
वह कली सी लगी (गीत)
अमित मिश्र
चरित्र साफ शब्दों में कहें तो आपके मस्तिष्क में समाहित विचार
चरित्र साफ शब्दों में कहें तो आपके मस्तिष्क में समाहित विचार
Rj Anand Prajapati
हम कैसे जीवन जीते हैं यदि हम ये जानने में उत्सुक होंगे तभी ह
हम कैसे जीवन जीते हैं यदि हम ये जानने में उत्सुक होंगे तभी ह
Ravikesh Jha
इक नई सी दस्तक मेरे दिल में हर रोज़ होती है,
इक नई सी दस्तक मेरे दिल में हर रोज़ होती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
There is one valuable thing you can give to others it is -TR
There is one valuable thing you can give to others it is -TR
पूर्वार्थ देव
घनाक्षरी
घनाक्षरी
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
काट शीश शत्रु संहार करो
काट शीश शत्रु संहार करो
Ramji Tiwari
खुद का नुकसान कर लिया मैने।।
खुद का नुकसान कर लिया मैने।।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
*ईश्वर की रचना है धरती, आकाश उसी की काया है (राधेश्यामी छंद)
*ईश्वर की रचना है धरती, आकाश उसी की काया है (राधेश्यामी छंद)
Ravi Prakash
- एक तरफ विश्वास दूसरी तरफ विश्वासघात -
- एक तरफ विश्वास दूसरी तरफ विश्वासघात -
bharat gehlot
3256.*पूर्णिका*
3256.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मेरे हमदम
मेरे हमदम
Arvina
यदि चाहो मधुरस रिश्तों में
यदि चाहो मधुरस रिश्तों में
संजीव शुक्ल 'सचिन'
ग़ज़ल __ कुछ लोग झूठ बोल के , मशहूर हो गए।
ग़ज़ल __ कुछ लोग झूठ बोल के , मशहूर हो गए।
Neelofar Khan
सपने में भी डर जाते हैं, उठ जाते हैं, चौंक रहे हैं।
सपने में भी डर जाते हैं, उठ जाते हैं, चौंक रहे हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
काक कोकिला काँव कूक
काक कोकिला काँव कूक
Kaushlendra Singh Lodhi Kaushal (कौशलेंद्र सिंह)
ग़ज़ल(चलो हम करें फिर मुहब्ब्त की बातें)
ग़ज़ल(चलो हम करें फिर मुहब्ब्त की बातें)
डॉक्टर रागिनी
नई फरेबी रात …
नई फरेबी रात …
sushil sarna
ग़ज़ल
ग़ज़ल
मिथलेश सिंह"मिलिंद"
आस्था
आस्था
Adha Deshwal
"महापाप"
Dr. Kishan tandon kranti
वीरान गली हैरान मोहल्ला कुछ तो अपना अंदाज लिखो / लवकुश_यादव_अजल
वीरान गली हैरान मोहल्ला कुछ तो अपना अंदाज लिखो / लवकुश_यादव_अजल
लवकुश यादव "अज़ल"
त्रेतायुग-
त्रेतायुग-
Dr.Rashmi Mishra
इस शहर में कितने लोग मिले कुछ पता नही
इस शहर में कितने लोग मिले कुछ पता नही
पूर्वार्थ
..
..
*प्रणय प्रभात*
अंतिम सत्य
अंतिम सत्य
विजय कुमार अग्रवाल
कभी लौट गालिब देख हिंदुस्तान को क्या हुआ है,
कभी लौट गालिब देख हिंदुस्तान को क्या हुआ है,
शेखर सिंह
मानवता
मानवता
Rahul Singh
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
Loading...