*युग की पुकार को पहचानो, अब जाति-व्यवस्था को छोड़ो (राधेश्या

युग की पुकार को पहचानो, अब जाति-व्यवस्था को छोड़ो (राधेश्यामी छंद)
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1)
युग की पुकार को पहचानो, अब जाति-व्यवस्था को छोड़ो।
आक्रांता सिर पर खड़ा हुआ, मुट्ठी बॉंधो खुद को जोड़ो।।
2)
चाहे जो जाति तुम्हारी है, लेकिन हिंदू कहना सीखो।
अब जाति-भेद से ऊपर उठ, हिंदू बनकर रहना सीखो।।
3)
अब सभी जाति के महापुरुष, सब देव सभी के कहलाऍं।
सब एक साथ मिलकर अपने, सारे देवों की जय गाऍं।।
4)
अब जाति-भेद में नहीं बॅंटो, हिंदू होकर सुविचार करो।
जातीय भावना ठुकरा दो, हिंदुत्व-भरा व्यवहार करो।।
5)
आओ अब से संगठित बनो, निज गौरव की पहचान करो।
जो मूल तुम्हारा वेद-धर्म, उस पर हिंदू अभिमान करो।।
6)
सड़ चुका जाति का जो ढॉंचा, उसको लेकर अब मत डोलो।
सब जाति-भेद से रहित द्वार, चिंतन-गलियारे के खोलो।।
7)
कह दो दूरियॉं मिटाऍंगे, हम जाति-भेद ठुकराऍंगे।
हम एक सूत्र में आपस में, गुॅंथ कर हिंदू कहलाऍंगे।।
8)
कह दो यह देश सनातन है, हम राम-कृष्ण के अनुयाई।
चाहे जो जाति हमारी है, लेकिन हम सब भाई-भाई।।
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451