हिंदी दोहे -प्रपंच दोहाकार -राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’

#हिंदी दोहे विषय – #प्रपंच
बिन बारिश ही बिजलियाँ,करती ध्वस्त मकान।
जब प्रपंच बादल बनें,#राना सिर पर आन।।
क्या प्रपंच दुश्मन रचें,जो रचते निज यार।
हाथ काटते हैं प्रथम,फिर#राना उपचार।।
रहे चींखते हम सभी, पहलगाम षड्यंत्र।
#राना पाक प्रपंच था,मिला सभी था तंत्र।।
बिन बादल बरसात हो,मेंढक बोलें टर्र।
हैं प्रपंच #राना सुनों,निकलेगें यह सर्र।।
धुआँ लगा उठने शहर,हैं प्रपंच की आग।
#राना कर तू सामना,लगा न लेना दाग।।
हर प्रपंच में आदमी,जब होते दस बीस।
#राना खुलता राज है,दाँत हँसें बत्तीस।।
मुड- मुड़कर भी देखता,#राना जहाँ प्रपंच।
वहीं हार उसको मिलें,बात कहूँ सौ टंच।।
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✍️ #राजीव_नामदेव”#राना_लिधौरी”
संपादक “#आकांक्षा” पत्रिका
संपादक-‘#अनुश्रुति’त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
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