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28 Apr 2025 · 1 min read

ना धर्म बिकेगा, ना ईमान झुकेगा,

ना धर्म बिकेगा, ना ईमान झुकेगा,
प्रेम का दीप हर दिल में जलेगा!

ना मंदिर जलेंगे, ना मस्जिद गिरेंगे,
अब हाथ नहीं, दिल मिलेंगे!

धर्म नहीं सौदा है,
ईश्वर नहीं व्यापार है,
जो बाँटे नफ़रत —
उसका बस बहिष्कार है!

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