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28 Apr 2025 · 1 min read

कभी पलकें उठाते हो ,कभी पलकें गिराते हो ।

कभी पलकें उठाते हो ,कभी पलकें गिराते हो ।
दीवानों का सनम तुम चैन भला कैसे चुराते हो ।
तुम्हारी इन अदाओं के बड़े घायल कई लेकिन –
जख्म भर जाते हैं जब तुम जरा सा मुस्कराते हो ।

सुशील सरना / 28-4-25

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