तुम्हें क्यों प्यार करें

क्यों तुम्हें प्यार करें, क्यों तुम्हें याद करें।
तुम वह तस्वीर नहीं, जो हमें प्यार करें।।
क्यों तुम्हें प्यार करें————————।।
कभी तुमको भी हमने, सजाया था ऐसे।
लगाकर तुमपे सितारें, गगन के तारों जैसे।।
तुम वह सितारा नहीं, सेहरा जो रोशन करें।
क्यों तुम्हें प्यार करें————————।।
समझकै हमने तुमको, अपने लहू की तरहां।
सींचा तुम्हें अपने लहू से, अपने गुलशन की तरहां।।
तुम वह गुलशन नहीं, खुशबू जो मन में भरें।
क्यों तुम्हें प्यार करें————————।।
तुम तो चाहते हो हमसे, जान-दौलत हमारी।
हमसे ईमाने- हस्ती, इज्जत-आज़ादी हमारी।।
तुम वह चिराग नहीं, जिंदगी जो रोशन करें।
क्यों तुम्हें प्यार करें————————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)