क्रोध हूँ मैं

क्रोध हूँ मैं
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क्रोध हूँ मैं ||
पहले मेरा अंत करो ||
अगर तुम बनना , संवरना चाहते हो |
ज़िन्दगी में कुछ करना चाहते हो , तो पहले मेरा अंत करो |
मैं रहता हूँ सबके अंदर , दिखता हूँ मैं सादा |
मैं धीरे – धीरे अपना स्वरूप दिखता |
दिखने में हूँ मैं एक छोटा शब्द ,
पर मैं हूँ किसी के विनाश का कारण |
मैं तेरे अंदर अगर रूप बढ़ाऊँ ,
उससे पहले मेरा अंत करो |
क्रोध हूँ मैं ||
पहले मेरा अंत करो ||
मैं अंदर ही अंदर खोखला कर देता हूँ ,
मैं गहरे रिश्ते को मैं बर्बाद कर देता हूँ |
मैं ज़िंदगी का उम्र कम कर देता हूँ |
मैं स्वप्न में नहीं , मैं सब हकीकत में कर देता हूँ |
मैं ज़िंदगी का एक भाग हूँ |
अगर ज़िन्दगी में कुछ करना चाहते हो ,
बनना , संवरना चाहते हो |
तो पहले मेरा अंत करो ||
क्रोध हूँ मैं |
पहले मेरा अंत करो ||