मुझको अब अफसोस हो रहा है कि———— ?

मुझको अब अफसोस हो रहा है कि———— ?
क्यों मैं भूल गया अपने लक्ष्य को,
बेवजह उसकी प्रीत में बंधकर,
जिसको मुझसे जरा भी प्यार नहीं,
मैं उसकी मनुहार करता हूँ रोजाना।
मुझको अब अफसोस हो रहा है कि———– ?
खास,मैं उसको चाहता इतना,
जिसने मुझको दी है इज्जत इतनी,
कि पा नहीं सकता ऐसा साथ किसी का,
अपनी जिंदगी में खुश रहने के लिए।
मुझको अब अफसोस हो रहा है कि———- ?
जिसने मुझको हमेशा बदनाम करना चाहा,
जिसने हमेशा मुझको लूटना चाहा,
जिसने हमेशा मुझ पर सितम किये,
लेकिन मैंने यह सब कुछ सहा है क्यों ?
मुझको अब अफसोस हो रहा है कि——— ?
मैंने किया था यह प्रण,
कि मैं किसी का गुलाम नहीं बनूंगा,
नहीं झुकाउंगा किसी के आगे सिर,
और करना है मुझको अपना नाम रोशन,
ताकि सभी झुककर मुझको सलाम करें,
क्योंकि मैं हमेशा रहना चाहता हूँ ,
जी.आज़ाद होकर आबाद,
लेकिन मैं क्यों किसी से प्यार कर बैठा ?
मुझको अब अफसोस हो रहा है कि————- ?
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी. आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)