युगों तक गूंजेंगी

युगों तक गूंजेंगी
वो सिसकियाँ
वो चीखें
आखिरी धड़कन
आखिरी साँस
और दम घुंटने की मूक आवाज़
सुंदर,आकर्षक घाटियों में
सुनी जाएँगी
गोलियों की आवाज़ भी
सतर्क करने को उन्हें
जो भरोसा करते हैं
आँखें मूंदकर।
-अनिल कुमार मिश्र,राँची।