तेल, तेल से मिलता जल से मेल नही हो सकता,
तेल, तेल से मिलता जल से मेल नही हो सकता,
निर्मम हत्या राजनीति का खेल नही हो सकता,
बहुत निभाए भाई चारा अब तो होश में आ जाओ,
मोहन की मुरली को छोड़ो राम सा धनुष उठाओ,
लक्ष्मण जैसा ना हो तो भाई विभीषण मत पालो
घर के गद्दारों को भी दुश्मन के साथ निगल डालो,
अभी नही तो कभी नही जागो रणभूमि में आओ,
महाकाल का रूप धरो नर, नारी दुर्गा बन जाओ,