आह्वान

क्या समय आगया है ?
अब निरीहों को मृत्य के आगोश में समा दिया गया है ,
दानवता की पराकाष्ठा में मानवता का अन्त हो गया है ,
मूकदर्शक बने रहने का समय अब समाप्त हो गया है ,
आतंक समूल नष्ट करने प्रण लेने का समय आ गया है,
नीती ,आदर्श , सद्भाव ,न्याय सब कोरी बातें होकर
रह गईं हैं ,
अस्तित्व रक्षा में प्रतिकार भावना ही अब विकल्प
रह गई है ,
आततायी विषधर को सर उठाते ही कुचल देना होगा ,
व्यवस्था पर निर्भर न हो स्व सुरक्षा सक्षम बनना होगा ,
अंतिम श्वास तक आतंक विरुद्ध संघर्ष करना होगा ,
संघर्षरत् रहकर वीरगति को प्राप्त होना होगा।