मुक्तक

मुक्तक
चाहते हैं यह देश के दुश्मन
गृहयुद्ध हालात बनें।
हिन्दू-मुस्लिम बनकर बैरी
आपस में ही घात करें।।
फिर होगी मनचाही इनकी
और मंसूबे पूरे भी।
देश-प्रेम को तज भारतीय
बँट जाने की बात करें।।
©®दुष्यंत ‘बाबा’
मुक्तक
चाहते हैं यह देश के दुश्मन
गृहयुद्ध हालात बनें।
हिन्दू-मुस्लिम बनकर बैरी
आपस में ही घात करें।।
फिर होगी मनचाही इनकी
और मंसूबे पूरे भी।
देश-प्रेम को तज भारतीय
बँट जाने की बात करें।।
©®दुष्यंत ‘बाबा’