*घनघोर अराजकता में अब, यह भारत और न जलने दो (मुक्तक)*
घनघोर अराजकता में अब, यह भारत और न जलने दो (मुक्तक)
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घनघोर अराजकता में अब, यह भारत और न जलने दो
जो आस्तीन में पले हुए, विषधर अब और न पलने दो
ललकार रहे जो भारत की, सरकार देश के गौरव को
उन शिशुपालों के लिए कृष्ण, अब चक्र-सुदर्शन चलने दो
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451