कुछ कमी हम में भी होगी

लेखक – डॉ अरुण कुमार शास्त्री – एक अबोध बालक – अरुण अतृप्त
शीर्षक – कुछ कमी तो हम में भी होगी
एक अबोध बालक
सिलसिला सृजन का कब तक चलेगा ।
आस होगी सांस होगी तब तलक – ये बात होगी ।
प्रेम का संसार होगा , मैं तुम्हारा हो सका न ।
कुछ कमी हम में भी होगी ।
तुमने चाहा जब किसी को , उसमें कुछ तो बात होगी ।
बन सका न प्रियतम तुम्हारा , ये कमी तो आजन्म होगी ।
सिलसिला सृजन का कब तक चलेगा ।
आस होगी सांस होगी तब तलक – ये बात होगी ।
तू न चाहे – जो हमें , ख्वाहिशें तो मर न सकेंगी ।
इतना बड़ा संसार है ये , कोई तो मेरी भी होगी ।
तुमने चाहा जब किसी को , उसमें कुछ तो बात होगी ।
बन सका न प्रियतम तुम्हारा , ये कमी तो आजन्म होगी ।
प्रेम का संसार होगा , मैं तुम्हारा हो सका न ।
कुछ कमी हम में भी होगी ।
सिलसिला सृजन का कब तक चलेगा ।
आस होगी सांस होगी तब तलक – ये बात होगी ।
दिल लगाना , दिल का लगना , टूट कर फिर चाहना किसी को ।
बिन बजह , बिन कारण , न होगा , मर्जी इसमें , उसकी भी होगी ।
कुछ पुराने ख्वाब होंगे , कुछ तराने , खास होंगे , और कुछ अंदाज होंगे ।
प्रेम का संसार होगा , मैं तुम्हारा हो सका न ।
कुछ कमी हम में भी होगी ।
तुमने चाहा जब किसी को , उसमें कुछ तो बात होगी ।
बन सका न प्रियतम तुम्हारा , ये कमी तो आजन्म होगी ।
तू न चाहे – जो हमें , ख्वाहिशें तो मर न सकेंगी ।
इतना बड़ा संसार है ये , कोई तो मेरी भी होगी ।
दिल लगाना , दिल का लगना , टूट कर फिर चाहना किसी को ।
बिन बजह , बिन कारण , न होगा , मर्जी इसमें , उसकी भी होगी ।
सिलसिला सृजन का कब तक चलेगा ।
आस होगी सांस होगी तब तलक – ये बात होगी ।
प्रेम का संसार होगा , मैं तुम्हारा हो सका न ।
कुछ कमी हम में भी होगी ।
तुमने चाहा जब किसी को , उसमें कुछ तो बात होगी ।
बन सका न प्रियतम तुम्हारा , ये कमी तो आजन्म होगी ।