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22 Apr 2025 · 2 min read

कुछ कमी हम में भी होगी

लेखक – डॉ अरुण कुमार शास्त्री – एक अबोध बालक – अरुण अतृप्त
शीर्षक – कुछ कमी तो हम में भी होगी

एक अबोध बालक

सिलसिला सृजन का कब तक चलेगा ।
आस होगी सांस होगी तब तलक – ये बात होगी ।

प्रेम का संसार होगा , मैं तुम्हारा हो सका न ।
कुछ कमी हम में भी होगी ।

तुमने चाहा जब किसी को , उसमें कुछ तो बात होगी ।

बन सका न प्रियतम तुम्हारा , ये कमी तो आजन्म होगी ।

सिलसिला सृजन का कब तक चलेगा ।
आस होगी सांस होगी तब तलक – ये बात होगी ।

तू न चाहे – जो हमें , ख्वाहिशें तो मर न सकेंगी ।
इतना बड़ा संसार है ये , कोई तो मेरी भी होगी ।

तुमने चाहा जब किसी को , उसमें कुछ तो बात होगी ।

बन सका न प्रियतम तुम्हारा , ये कमी तो आजन्म होगी ।

प्रेम का संसार होगा , मैं तुम्हारा हो सका न ।
कुछ कमी हम में भी होगी ।

सिलसिला सृजन का कब तक चलेगा ।
आस होगी सांस होगी तब तलक – ये बात होगी ।

दिल लगाना , दिल का लगना , टूट कर फिर चाहना किसी को ।
बिन बजह , बिन कारण , न होगा , मर्जी इसमें , उसकी भी होगी ।

कुछ पुराने ख्वाब होंगे , कुछ तराने , खास होंगे , और कुछ अंदाज होंगे ।

प्रेम का संसार होगा , मैं तुम्हारा हो सका न ।
कुछ कमी हम में भी होगी ।

तुमने चाहा जब किसी को , उसमें कुछ तो बात होगी ।

बन सका न प्रियतम तुम्हारा , ये कमी तो आजन्म होगी ।

तू न चाहे – जो हमें , ख्वाहिशें तो मर न सकेंगी ।
इतना बड़ा संसार है ये , कोई तो मेरी भी होगी ।

दिल लगाना , दिल का लगना , टूट कर फिर चाहना किसी को ।
बिन बजह , बिन कारण , न होगा , मर्जी इसमें , उसकी भी होगी ।

सिलसिला सृजन का कब तक चलेगा ।
आस होगी सांस होगी तब तलक – ये बात होगी ।

प्रेम का संसार होगा , मैं तुम्हारा हो सका न ।
कुछ कमी हम में भी होगी ।

तुमने चाहा जब किसी को , उसमें कुछ तो बात होगी ।

बन सका न प्रियतम तुम्हारा , ये कमी तो आजन्म होगी ।

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