*मनः संवाद----*
मनः संवाद—-
22/04/2025
मन दण्डक — नव प्रस्तारित मात्रिक (38 मात्रा)
यति– (14,13,11) पदांत– Sl
ठान लिया है जब तुमने, आगे बढ़ना है सतत, पीछे मत रख पाँव।
साथ मिले या नहीं मिले, मत करना परवाह तू, धूप मिले या छाँव।।
नहीं जरूरी शहर रहे, देश राजधानी पले, या रहता तू गाँव।
पाना है अगर लक्ष्य को, अन्य सोच परित्याग कर, सभी लगा दे दाँव।।
पक्के मन से निर्णय कर, पीछे हटना फिर नहीं, यही सफलता मंत्र।
अपना मूल्य समझ प्यारे, तू सचमुच अनमोल है, नहीं किसी का यंत्र।।
आजादी की रक्षा कर, अलग निराला तू मनुज, मत रहना परतंत्र।
तेरी प्रसिद्धि नाच उठे, तुझे गिराने के लिए, रचें सभी षड्यंत्र।।
हक ला अपन जमाये बर, बहुत लड़े बर लागथे, तहूँ आज ले जाग।
अड़बड़ दिन होगे सूतत, खाये हस कोनो नशा, मीठ महूरा साग।।
चेत कहाँ तोला आही, जीयत हस पर के जुठा, सुने मतौना राग।
आँखी मूँदत सुख झरथे, पुरखारत गहना धरे, नशा उगलथस झाग।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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