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21 Apr 2025 · 2 min read

प्रेरणा

कल राज का आपरेशन होने वाला है। डाक्टर ने तीन बोतल खून की व्यवस्था के लिए पहले से ही कह रखा है। इसी उहापोह में कविता दो दिन से परेशान है। इतना पैसा भी नहीं है कि वो खून खरीद सकें। रिश्तेदारों ने हाथ खड़े कर दिए। इसी उधेड़बुन में अस्पताल के बाहर बैठी कविता को रोना आ रहा रहा, पर किसी तरह वह खुद को संभाले थी।
तभी एक कार उसके पास आकर रुकी। कार से एक संभ्रांत परिवार की महिला उतरी। जाने किस भावना से वह कविता के पास पहुंच गई। उसके इस तरह निराश बैठने का कारण पूछा – तब कविता ने रोते हुए अपनी समस्या बता दी।
तब उस महिला ने कविता को ढांढस बंधाते हुए कहा – देखो! रोने से समस्या का हल नहीं निकलेगा। ईश्वर पर भरोसा रखो। वह किसी न किसी को इस समस्या के समाधान के लिए जरुर प्रेरित करेगा। तुम मुझे अपने वहां ले चलो, जहाँ तुम्हारा पति भर्ती हैं। तब तक कार से उसका बेटा भी कार पार्क करके आ गया। महिला ने इशारे से उसे चुप रहने और थोड़ा फासले से अपने पीछे आने का इशारा किया।
कविता के साथ वो पहले वार्ड में गयी। राज को देखा और हाल चाल पूछकर ढांढस बंधाया और फिर डाक्टर से मिलकर सारी बात बताई। साथ ही यह भी बता दिया कि मेरा बेटा अपने दोस्तों के साथ जरुरत भर का खून देने आ जायेंगे। बस आप इतना कीजिएगा। मरीज ( राज) और उसकी पत्नी को कुछ मत बताइएगा, और न ये मेरा निवेदन है। ताकि ईश्वर पर उसका भरोसा बना रहे।
डाक्टर ने हाथ जोड़कर कहा – आप निश्चित ही ईश्वर की प्रेरणा से यहाँ आई हैं। आप चिंता बिल्कुल मत कीजिए। आपरेशन के बाद जितनी भी दवा की जरूरत है, उसका इंतजाम मैं करवा दूँगा। शायद आपकी प्रेरणा से ही ईश्वर मुझे भी थोड़ा सा पुण्य अर्जित करने का अवसर दे रहा है। मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ। अब आप निश्चिंत होकर घर जाइए और बेटे के साथ सुबह उसके दोस्तों को भेज दीजिएगा।
ईश्वर हर किसी को आप जैसी प्रेरणा दे, ताकि हर किसी की दुश्वारियां दूर होती रहें।

सुधीर श्रीवास्तव

Language: Hindi
1 Like · 31 Views
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