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21 Apr 2025 · 1 min read

दोहा त्रयी. . . . जिंदगी

दोहा त्रयी. . . . जिंदगी

कैसे तोड़े जिंदगी, यह सपनों का जाल ।
हर पन्ने पर है बनी, उलझन एक सवाल ।।

हर मानव से जिंदगी, पूछे एक सवाल ।
क्यों छाया सा उम्र भर, पीछे चलता काल ।।

मरीचिका सी जिन्दगी, सुख जिसमें आभास ।
उड़ें रेत सी ख्वाहिशें, हर पल बढ़ती प्यास ।।

सुशील सरना / 21-4-25

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