Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Apr 2025 · 1 min read

प्रकृति और मनुष्य

प्रकृति थी माँ जैसी, निस्वार्थ दी सब कुछ,
हरियाली, नदियाँ, आकाश का खुला रुख।
फूलों की हँसी, चाँदनी की चुप बातें,
हर साँस में बसी थीं उसकी सौगातें।

पहाड़ों की गोदी में झूला झुलाता था,
नदी की लहरों से गीत सुनाता था।
बादल भी बरसते थे सुख-दुख समझकर,
पेड़ भी लगते थे जैसे साया बनकर।

पर मनुष्य ने क्या किया, किस ओर चला?
लोभ में अंधा हुआ, सब कुछ जला चला।
पेड़ कटे, नदियाँ सूखी, मिट्टी भी रूठी,
प्रकृति की ममता पर चल गई छूटी।

अब गर्मी में तपती हैं साँसें यहाँ,
आँधियाँ कहती हैं – “तूने क्या किया?”
बारिश भी डरती है अब गिरने से,
धरती भी कांपती है फिर बिखरने से।

फिर भी प्रकृति चुप है, न गुस्सा, न घाव,
अब भी वो देती है जीवन की छांव।
बस इंसान को समझना होगा अब,
प्रकृति को बाँधो मत, दो उसको सब।

चलो फिर से बोएँ बीज प्रेम के,
संवेदनाओं से सींचें हर एक पेड़ के।
प्रकृति और मनुष्य का हो फिर मिलन,
यही हो धरती पर सच्चा जीवन।

डॉ. मुल्ला आदम अली
तिरुपति, आंध्र प्रदेश

2 Likes · 33 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

कोसों लंबी ख़ामोशी,
कोसों लंबी ख़ामोशी,
हिमांशु Kulshrestha
गोमूत्र उपज बढ़ाने का सूत्र
गोमूत्र उपज बढ़ाने का सूत्र
Anil Kumar Mishra
गुलामी का आईना
गुलामी का आईना
Urmil Suman(श्री)
बंदर
बंदर
अरशद रसूल बदायूंनी
न हिंदू न सिख ईसाई मुसलमान इन्ही से तो मिलकर बना है हमारा खूबसूरत हिंदुस्तान।
न हिंदू न सिख ईसाई मुसलमान इन्ही से तो मिलकर बना है हमारा खूबसूरत हिंदुस्तान।
Rj Anand Prajapati
मौन
मौन
निकेश कुमार ठाकुर
नेता
नेता
विशाल शुक्ल
" लोग "
Chunnu Lal Gupta
बेज़ार होकर चले थे
बेज़ार होकर चले थे
Chitra Bisht
" समझ "
Dr. Kishan tandon kranti
थोड़ी सी बरसात हो ,
थोड़ी सी बरसात हो ,
sushil sarna
महसूस तो होती हैं
महसूस तो होती हैं
शेखर सिंह
लगन प्रेम की
लगन प्रेम की
इंजी. संजय श्रीवास्तव
ज़िंदगी के सौदागर
ज़िंदगी के सौदागर
Shyam Sundar Subramanian
हमको रखना था सबका दिल यूँ भी
हमको रखना था सबका दिल यूँ भी
Dr fauzia Naseem shad
है वक़्त बड़ा शातिर
है वक़्त बड़ा शातिर
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
महबूबा से
महबूबा से
Shekhar Chandra Mitra
पानी बरसे मेघ से
पानी बरसे मेघ से
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
कमबख्त ये तेरे इश्क़ की गुजारिश हैं,
कमबख्त ये तेरे इश्क़ की गुजारिश हैं,
Vivek Kumar Yadav
🙅विषम-विधान🙅
🙅विषम-विधान🙅
*प्रणय प्रभात*
वक्त भी कहीं थम सा गया है,
वक्त भी कहीं थम सा गया है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मधुमास
मधुमास
Kanchan verma
फूलों सा महकना
फूलों सा महकना
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
धन-संपदा थोड़ा कम भी हो,
धन-संपदा थोड़ा कम भी हो,
Ajit Kumar "Karn"
ये जो फेसबुक पर अपनी तस्वीरें डालते हैं।
ये जो फेसबुक पर अपनी तस्वीरें डालते हैं।
Manoj Mahato
मेरी कलम कविता
मेरी कलम कविता
OM PRAKASH MEENA
सबके संग रम जाते कृष्ण
सबके संग रम जाते कृष्ण
Pratibha Pandey
*मस्ती को कब चाहिए, धन-दौलत-भंडार (कुंडलिया)*
*मस्ती को कब चाहिए, धन-दौलत-भंडार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
जिंदगी.... कितनी ...आसान.... होती
जिंदगी.... कितनी ...आसान.... होती
Dheerja Sharma
हमने किस्मत से आंखें लड़ाई मगर
हमने किस्मत से आंखें लड़ाई मगर
VINOD CHAUHAN
Loading...