Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Apr 2025 · 5 min read

तुम ही हो मेरी माँ।

तुम ही हो मेरी माँ।

(कहानी)

ममता अपनी जन्मदात्री माँ नेहा के साथ रात को अपने कमरे में नींद के आगोश में थी। नेहा,ममता की तरफ पीठ करके सो रही थी। रात के 2 बज रहे थे गीता,ममता की मौसी कमरे में आई,ममता के पलंग के पास खड़ी होकर उसे निहारने लगी। बहुत प्यार,लाड़ और वात्सल्य के साथ ममता के सिर पर बहुत धीरे से हाथ फिराया,कहीं उसकी बच्ची की नींद न खराब हो जाए। गीता की आँखे भर आईं,कल सुबह उसकी बेटी जिसे दुनिया उसकी भांजी कहती थी,उसे छोड़कर हमेशा के लिए चली जाएगी अपनी जन्मदात्री माँ नेहा के साथ। गीता की आँखों के सामने अतीत एक चलचित्र की तरह आने लगा कि कैसे जब उसने देखा की ममता को उसके जन्मदाता डांटते-फटकारते रहते थे। उसका असली नाम जैसी करमजली हो गया था ममता से बदलकर। एक भाई से छोटी 4 साल की ममता को उसके पिता राम सिंह और माँ नेहा ने उसका छोटा भाई पैदा होने पर बिल्कुल ही पूछना छोड़ दिया था। उसकी दादी,माँ,पापा जब देखो उस मासूम को डांटते-फटकारते रहते थे,बात-बात पर उसे मारना-पीटना आम बात थी। गीता जब भी अपनी छोटी बहन के घर जाती तो उसका दिल ये देखकर रो पड़ता था। वो रोती हुई ममता को गोद में उठा लेती थी। उसे बहुत प्यार करती,अपने हाथ से उसे खाना खिलाती। एक बार जब वो अपनी बहन नेहा के घर उससे मिलने गई और उसने नेहा को ममता को पीटते देखा, 4 साल की मासुम बच्ची को डर और दर्द से सुबकते देखा तो उसका कलेजा फट गया। उसने दौड़कर बच्ची को गोद मे लेकर अपने कलेजे से लगा लिया और उस दिन उसने अपनी छोटी बहन से ममता को हमेशा के लिए मांग लिया,अपने साथ अपने घर ले आई। उस दिन से आज तक जब ममता 20 साल की हो चुकी है,उसे वैसे ही अपने कलेजे से लगाकर पाला। ममता को पढ़ाया,उसे गीत-संगीत सिखाया क्योंकि ममता की गायन और सितार में बहुत रुचि थी। गीता,अपनी ममता की नींद सोई, ममता की नींद जागी। भले ही गीता एक पैर से अपाहिज थी पर उसने अपनी बेटी ममता जिसे दुनिया उसकी भांजी कहती थी को जिंदगी की जमीन पर बड़ी मजबूती से खड़ा किया था। भले ही अपाहिज होने की वजह से गीता की जिंदगी में शादी के रंग नहीं भरे थे पर उसने ममता की जिंदगी में खुशी के सारे रंग भरे थे। आज जब उसकी ममता 20 साल की होकर अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा सपना पूरा करने जा रही थी देश के सबसे बड़े गीत-संगीत समारोह में अपना हुनर दिखाकर तो उसकी माँ नेहा उसे अपने साथ,अपने घर ले जाकर उसकी शादी करवाने के लिए आ गई थी। आते ही ममता की जन्मदात्री नेहा ने फैसला सुना दिया कि उसने अपनी बेटी की शादी तय कर दी है आखिर बेटी तो उन्हीं की है उसकी शादी कब करनी है और किससे करनी है इसका हक तो सिर्फ उसके माँ, बाप को ही है। आते ही नेहा ने ममता का हाथ पकड़ा,उसे कमरे में ले गई और उसे अपने साथ चलने का निर्णय सुना दिया। गीता को बता दिया कि ममता उसकी भांजी है, बेटी नहीं। गीता,जो कल अपनी भांजी ममता के साथ उसके गीत-संगीत के समारोह में जाने वाली थी अब ममता की उसकी जन्मदात्री नेहा साथ उसके माँ-बाप के घर जाने की तैयारी करने लगी।

नेहा,रात की भी ममता को अपने साथ लेकर सोई इसलिए नहीं की प्यार था अपनी बेटी ममता से बल्कि इसलिए क्योंकि आज की तारीख में ममता धन की तिजोरी की चाबी थी। वो जिस पुरुष से उसकी शादी करने जा रही थी वो बहुत ज्यादा धनवान था और शादी के बाद घर जमाई बनके रहने वाला था।

बस आज के दिन की रात ही बची थी थोड़ी- सी गीता के पास अपनी बच्ची को लाड़ प्यार करने के लिए,उसे जी भरकर माँ की नजरों से देखने के लिए क्योंकि कल तो दुनिया ही पूरी तरह से सही हो जाएगी कि ममता उसकी बेटी नहीं है। भले ही उसने अपनी जिंदगी का हर पल अपनी ममता को दिया,अपनी सारी ममता,ममता पर लुटाई। गीता की भरी हुई आँखों के आँसू न जाने कब से सागर बनकर बहने लगे उसे पता ही नहीं चला। जब देखा कि आँसू की एक लहर उसकी बच्ची के नींद में डूबे मासुम चेहरे पर गिर गई है तो उसे अपने आंखों के पीड़ा के सागर का अनुभव हुआ। वो जैसे दबे पाँव कमरे में आई थी वैसे ही चुपचाप अपनी ह्रदय की अथाह पीड़ा को अपने अंदर समेटे लौट गई।

सुबह नेहा,ममता का हाथ हक से पकड़कर उसके साथ गीता के घर की दहलीज पार करने जा रही थी। गीता आज दर्द का पुतला बनकर,दिल और आँखों मे दर्द के आँसू लेकर सिर्फ अपनी उस बेटी को देखे जा रही थी जिसे भले ही उसने जन्म नहीं दिया था पर जिसको अपने जन्म की हर सांस दी थी। अचानक ममता दहलीज पार जाते-जाते लौटकर आई और अपनी उस माँ के कसकर गले लग गई जिसे भले ही दुनिया ने उसकी मौसी कहा हो पर जिसे उसने हमेशा “माँ” कहा था। माँ माना था ,माँ जाना था। नेहा का चेहरा गुस्से से लाल हो गया और उसने बड़ी ज़ोर से ममता को डांटकर अपने साथ अपने घर चलने का हुक्म दिया। पर आज…….ममता बोली,”मैं तो आपको अपने घर से बाहर छोड़ने के लिए गई थी। मैं अपना घर छोड़कर आपके घर क्यों जाऊं?मैं तो अपनी माँ के साथ,समारोह में जाने के लिए तैयार हुई हूँ और मैं आपको और सारी दुनिया को बता दूं अच्छी तरह से कि मेरी माँ का नाम ‘गीता ‘है।”
और ममता की आँखों से न जाने कब से समेट कर रखे हुए आंसू बहने लगे और वो रोते रोते गीता से बोली,”माँ मुझे अपने सीने से लगा लो,वैसे ही जैसे तब उस चार साल की रोती हुई बच्ची को लगाया था,वैसे ही जैसे जिंदगी के हर पल लगाकर रखा है।” गीता ने औऱ भी कसकर उसे सीने से लगा लिया जिसे उसने माँ बनकर पाला पोसा था उम्रभर और सारा जीवन उसे अपना जीवन मानकर चली आ रही थी,उसे जिसे अब दुनिया उसकी भांजी नहीं, बेटी कहेगी। वात्सल्य के पवित्र सागर में डूबी बेटी ने अपनी माँ से कहा ,”मां बस तुम ही हो मेरी जीवनदात्री,तुम ही हो मेरी “माँ”। और अपनी बेटी ममता को गीता ने अपने कलेजे से जीवन सार की तरह लगाकर रखा था क्योंकि गीता का जीवन सार यही था कि वो एक माँ थी, सम्पूर्ण “माँ “।

प्रिया प्रिंसेस पवाँर
Priya princess Panwar
स्वरचित,मौलिक,
सर्वाधिकार सुरक्षित/
द्वारका मोड़, द्वारका
नई दिल्ली-78

1 Like · 40 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Priya princess panwar
View all

You may also like these posts

गजल ए महक
गजल ए महक
Dr Mukesh 'Aseemit'
चलो गांव को चले
चलो गांव को चले
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
अंदर कहने और लिखने को बहुत कुछ है
अंदर कहने और लिखने को बहुत कुछ है
Shikha Mishra
प्रलयंकारी कोरोना
प्रलयंकारी कोरोना
Shriyansh Gupta
कुछ दर्द बताऊं
कुछ दर्द बताऊं
ललकार भारद्वाज
बारिश
बारिश
sonu rajput
हयात में मेरे आलोक भर दो
हयात में मेरे आलोक भर दो
आलोक पांडेय
विलक्षण साध्वी प्रभा- कनकप्रभा जी
विलक्षण साध्वी प्रभा- कनकप्रभा जी
Sudhir srivastava
लोग वहाॅं पर मेरा इंतज़ार कर रहे हैं...
लोग वहाॅं पर मेरा इंतज़ार कर रहे हैं...
Ajit Kumar "Karn"
हनुमान वंदना/त्रिभंगी छंद
हनुमान वंदना/त्रिभंगी छंद
guru saxena
कोई काम हो तो बताना
कोई काम हो तो बताना
Shekhar Chandra Mitra
भाषा
भाषा
Shashi Mahajan
हर घर एक तिरंगे जैसी
हर घर एक तिरंगे जैसी
surenderpal vaidya
हाल ऐ दिल बयाँ किया था हमने
हाल ऐ दिल बयाँ किया था हमने
शोभा कुमारी
दरिया की लहरें खुल के - संदीप ठाकुर
दरिया की लहरें खुल के - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
..
..
*प्रणय प्रभात*
Neem karoli baba bhajan
Neem karoli baba bhajan
Sartaj sikander
Nobility
Nobility
Sanjay Narayan
👉अगर तुम घन्टो तक उसकी ब्रेकअप स्टोरी बिना बोर हुए सुन लेते
👉अगर तुम घन्टो तक उसकी ब्रेकअप स्टोरी बिना बोर हुए सुन लेते
पूर्वार्थ
विडंबना
विडंबना
श्याम सांवरा
"वो दो महीने"
Dr. Kishan tandon kranti
वेदना
वेदना
संजीवनी गुप्ता
आइरन लेडी
आइरन लेडी
मनोज कर्ण
Best Preschool Franchise in India
Best Preschool Franchise in India
Alphabetz
वक्त पर काम आए ना कोई दुआ
वक्त पर काम आए ना कोई दुआ
Shweta Soni
जब तक था मेरे पास धन का खजाना। लगा था लोगो का आना जाना।
जब तक था मेरे पास धन का खजाना। लगा था लोगो का आना जाना।
Rj Anand Prajapati
गांव की छांव
गांव की छांव
Vindhya Prakash Mishra
"हमें इश्क़ ना मिला"
राकेश चौरसिया
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
#मेरा अनुभव आपके साथ#
#मेरा अनुभव आपके साथ#
कृष्णकांत गुर्जर
Loading...