--सड़क हादसे--

–सड़क हादसे–
हादसों की जद में जीवन खपाना नहीं
शाम को लौटकर घर जाना भी है
घर का दीपक तभी जल सकेगा सही
मेहनत कर उसे तेल-बाती लाना भी है
जल्दबाजी सदां दुखदाई ही रही
हर हाल ये दिमाग से टलाना भी है
बिन हमारे परिवार ये कुछ भी ना रहे
हरेक को अब ये जनाना भी है
सेफ चलेंगे तो सेफ रहेंगे सभी
धैर्य का बांध सभी को बंधाना भी है
✍️✍️ अरविंद कुमार गिरि