शिव जो कैलाश पर्वत पे जाके बसे

शिव जो कैलाश पर्वत पे जाके बसे
उनके संग उमा भी शिवानी बनी
राम संग जो रही साथ बन में चली
सीता माता जगत कल्याणी बनी
हमको दिल से भुलाने का वादा न कर
तेरे दिल से उतर कर कहां जायेगे
जिस्म दो है मगर जान तो एक है
स्वास दिल से जो निकली मर जायेगे
कृष्ण संग में रही रुकमनी सी दिखी
श्याम के साथ में राधा रानी लगी
जब भी सोचा तुम्हे मैने शांत एकांत में
मीरा बाई सी तुम साधिका सी लगी
✍️ कृष्णकांत गुर्जर